मानव समाज में परिवार एक महत्वपूर्ण बुनियादी इकाई है।

मानव समाज में परिवार एक महत्वपूर्ण बुनियादी इकाई है।

जिसके बगैर समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। मनुष्य को अपने विकास के लिए समाज की आवश्यकता हुयी, इसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए समाज की प्रथम इकाई के रूप में परिवार का उदय हुआ। परंतु वर्तमान आधुनिक समाज में परिवार नाम की यह इकाई बिखरती चली जा रही है। संयुक्त परिवार जो भारतीय समाज की रीढ़ हुआ करती थी अब एकल परिवारों में तब्दील होते जा रहे हैं। इस बिखराव को ही देखते हुए ही संभवत: संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 1994 को अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष घोषित किया था। समूचे संसार में लोगों के बीच परिवार की अहमियत बताने के लिए हर साल 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाने लगा है। अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस परिवारों से जुड़े मसलों के प्रति लोगों को जागरूक करने और परिवारों को प्रभावित करने वाले आर्थिक,सामाजिक दृष्टिकोणों के प्रति ध्यान आकर्षित करने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। इस तरह1995 से यह सिलसिला जारी है। प्रति वर्ष इस दिन को मनाने के लिए अलग-अलग विषय भी निर्धारित किया जाता है। 2013 के वर्ष को 'सामाजिक एकता और अंत: पीढ़ीगत एकजुटता’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है।

 इस मौके पर आज हम भारत में बुजुर्गों के साये से दूर होते एकल परिवार के बारे में बात करेंगे।  संयुक्त परिवार के विघटन ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित तो किया ही है परंतु इसका सबसे अधिक दुश्प्रभाव बच्चों पर पड़ा है। वर्तमान समय में जबकि माता-पिता दोनों ही कामकाजी हो गए हैं, घर में बुजुर्गों की और अधिक आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। परंतु अफसोस की बात है कि आधुनिक पीढ़ी; उनकी चाहे दूसरे शहर में नौकरी की मजबूरी हो या अपनी निजी स्वतंत्रता को बनाए रखने की मजबूरी, वे अपने माता-पिता से अलग परिवार बसा कर रहने लगे हैं। यह आने वाली पीढ़ी और हमारे परिवार के लिए सबसे खतरनाक है। ऐसे परिवारों में तीन-तीन पीढिय़ों का हस होता है- बच्चे तो उपेक्षित होते ही हैं, काम के बोझ और आधुनिक जीवन शैली की आपाधापी में नौकरीपेशा माता-पिता न अपने लिए सुकून के दो पल निकाल पाते न बच्चों की परवरिश ठीक से कर पाते और उनके बुजुर्ग माता-पिता एकाकी जीवन जीने को अभिशप्त हो जाते हैं। यह स्थिति परिवार के विघटन का कारक तो बनती है इसके कारण समाज का विकास भी प्रभावित होता है।

संयुक्त परिवारों के बिखरते चले जाने का प्रमुखकारण है देश में बढ़ती आबादी तथा घटते रोजगार, जिसके कारण परिवार के सदस्य अपनी आजीविका की तलाश में अपने गाँव से शहर या छोटे शहर से बड़े शहरों की ओर पलायन करते हैं। शिक्षा के प्रचार प्रसार के कारण शिक्षित कहलाने वाले युवा अब अपने परंपरागत व्यवसाय या खेती बाड़ी को हेय नजरों से देखता है। बढ़ते उपभोक्तावाद के चलते बहुत से पढ़े-लिखे अतिमहत्वाकांक्षी युवा अपने परिवार और माता-पिता को छोड़ विदेश की ओर प्रस्थान कर जाते हैं। और वहीं अपना परिवार बसा लेते हैं। इस तरह परिवार या परिजनों से दूर होते जाने के कारण वे भावनात्मक रूप से असहाय होते जा रहे हैं। जबकि एक समय था जब अपने काम से छुट्टी मिलते ही वह सबसे पहले भाग कर अपने परिवार के बीच पहुँचता था क्योंकि असली खुशी उन्हें अपने परिवार के बीच ही मिलती थी।

लेकिन आज की आधुनिक जीवन शैली या अपने व्यक्तिगत सुख और स्वार्थ के कारण जो लोग अपने बूढ़े माता-पिता को अकेला छोड़ देते हैं वे भला अपने बच्चों को कैसा संस्कार दे पाएंगे? एक स्वस्थ समाज की संरचना तभी संभव है जब भावी पीढ़ी को परिवार में सुरक्षित वातावरण मिले। स्वास्थ्य पालन-पोषण से मानव का भविष्य सुरक्षित होता है उसके विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। पालन- पोषण और संस्कार के अलावा वर्तमान में बुजुर्गों का साथ रहना इसलिए भी जरूरी हो गया है क्योंकि अब बच्चों को घर में अकेले छोडऩा सुरक्षित नहीं रह गया है। दिन प्रतिदिन बढ़ते अपराध ने भय का वातावरण निर्मित कर दिया है। ऐसे में यदि घर में बुजुर्ग उपस्थित होंगे तो बच्चों को सुरक्षा तो मिलेगी ही साथ ही उनसे जो संस्कार उन्हें मिलेंगे वे माता-पिता के लिए भी सकारात्मक ऊर्जा का काम करेंगे।

अंत में-

'हवा बदलेगी’ स्लोगन के माध्यम से एक पंखे का विज्ञापन इन दिनों अपना ध्यान खींच रहा है- जिसमें दिखाया जाता है कि वृद्धाश्रम में एक युवा दम्पत्ति पंहुचता है, उनके संकोच को देखकर आश्रम की महिला कहती है कि आप निश्चिंत हो कर अपने माता-पिता को हमारे पास छोड़ दीजिए हम उनकी अच्छे से देखभाल करेंगे। यह सुनकर युवती आश्रम में दूर बैठे एक बुजुर्ग जोड़े की ओर देखती है और कहती है आप गलत समझ रही हैं मेम क्या हम यहाँ से अपने लिए मॉम-डैड घर ले जा सकते हैं... यह सुनकर आश्रम वाली महिला आश्चर्य और खुशी से मुस्कुरा उठती है। ... है तो यह एक पंखे को प्रचारित करने वाला विज्ञापन पर वह एक सामाजिक संदेश भी दे रहा है। काश सचमुच हवा बदल जाए....
🌹💐🙏

Santoshkumar B Pandey at 8.20pm.

Comments

Popular posts from this blog

" Varna system by karma ( work ) not by birth is a fundamental concept underlying the Hindu society"

Sikh is a Hindu Kshatriya warrior's ( Hindu is a Sikh & Sikh is a Hindu)

"राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ"