डॉ. बाबासाहब अंबेडकर के दलित आन्दोलन में बाह्मणो का योगदान !
डॉ. बाबासाहब अंबेडकर के दलित आन्दोलन में बाह्मणो का योगदान लेखक-डॉ. पी. जी. ज्योतिकर अनुवाद : जयंतिभाई पटेल कुछ समय से दलित समाज में क्रांतिकारी नेता के विषय में एक मापदण्ड देखा जाता है. अनुभव किया जा रहा है, दलित समाज की सभाओं में जो ब्राह्मणों को वीभत्स गालियाँ, हिन्दू देवी-देवताओं का मज़ाक एवं महात्मा गाँधी जी का मजाक अपने भाषणों में जो करता है, वह वक्ता-नेता महान् क्रांतिकारी, उद्दामवादी प्रगतिशील माना जाए !! सभाओं में तालियाँ, और यह सब हो रहा है पू. बोधिसत्व डॉ. बाबासाहब अंबेडकर जी के नाम पर..कुछ हमारे मित्र जन तो दलितस्तान भी बाबासाहब जैसे देशभक्त के खाते में जमा कराने का अपराधजन्य कुकृत्य भी कर रहे हैं। आइए आज हम बाबासाहब के जीवन की कुछ हकीकतें जानें और गंभीरता से उसके बारे में सोचें। 1. वर्षा से भीगे हुए छोटे से भीम को अपना रूढ़िचुस्त ब्राह्मणत्व भूल कर अपने घर ले जाकर ब्राह्मण पत्नी द्वारा गरम पानी से अपने पुत्र के साथ स्नान कराने वाले शिक्षक पेंडशे गुरुजी का अपने 50वें जन्मदिन पर बोधिसत्व डॉ. बाबा साहब स्मरण करते हुए कहते हैं- 'स्कूल जीवन का यह मेरा पहला सुख था।...